नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई के चौथे दिन रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरण ने बहस की शुरुआत की । परासरन ने कहा कि किसी जगह को मंदिर के तौर पर मानने के लिए वहां मूर्ति होना जरूरी नहीं है । हिंदू महज किसी एक रूप में ईश्वर की आराधना नहीं करते। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अब केदारनाथ मंदिर को ही ले लो, वहां कोई मूर्ति नहीं है । परासरण ने आगे कहा कि यहां तक कि पहाड़ो की भी देवरूप में पूजा होती है । उन्होंने तिरुवन्नमलाई और चित्रकूट में होने वाली परिक्रमा का उदाहरण भी दिया । इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या में मूर्ति रखे जाने व मंदिर स्थापित होने से बहुत पहले से वहां श्रीराम की पूजा होती रही है । उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष लगातार अदालत में गलत दावा नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के चौथे दिन क्या क्या हुआ...
सुप्रीम कोर्ट में चौथे दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मामले में हफ़्ते के पांच दिन सुनवाई होने की खबर पर सुप्रीम कोर्ट से स्थिति स्पष्ट करने को कहा । धवन ने कहा वे इस तरह रोज़ सुनवाई में असमर्थ हैं, उन्हें केस मे बहुत रिसर्च करना होगा और पढ़ना होगा । सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा है कि ये सिर्फ एक हफ्ते का मामला नहीं है, बल्कि लंबे समय की दिक्कत है । उन्होंने कहा कि हमें दिन-रात अनुवाद के कागज पढ़ने और अन्य तैयारियां करनी पड़ती हैं। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि हमने आपकी बात सुन ली है, हम आपको बताएंगे।
- रामलला के वकील ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं का उदाहरण दिया । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या रघुवंश का उत्तराधिकारी यहां पर मौजूद है?
- बता दें कि इस मामले की सुनवाई CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है । इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं ।